एकलव्य आदर्श विद्यालय में सेंसेई सीता रजक द्वारा सिखाया जा रहा आत्मा रक्षा का गुण

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कोरबा जिले के पोड़ी उपरोडा ब्लॉक अंतर्गत एकलव्य स्कूल में सेंसाई सीता रजक मैडम द्वारा सभी 150 से अधिक बालिकाओ को निःशुल्क आत्म रक्षा का गुण सिखाया जा रहा है जिसमे नारी सशक्तिकरण,गुड टच बैड टच तथा विपरीत परिस्थिति में अपनी रक्षा करने का गुड सिखाया जा रहा है,कराते के बारे में मैडम ने बताया की कराते : एक प्राचीन कला, आत्मरक्षा और अनुशासन का प्रतीक है आज आधुनिक युग में जहां शारीरिक स्वास्थ्य और आत्मरक्षा का महत्व बढ़ता जा रहा है, वही कराते जैसी प्राचीन कलाएं आज भी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए हैं। कराटे, जो मूल रूप से एक जापानी मार्शल आर्ट है, सिर्फ मार-पीट का एक तरीका नहीं, बल्कि यह आत्म-नियंत्रण, अनुशासन और मानसिक शक्ति का भी परिचायक है।

कराटे का अभ्यास करने वाले न केवल शारीरिक रूप से मजबूत बनते हैं, बल्कि यह उन्हें मानसिक दृढ़ता भी प्रदान करता है। इसमें शामिल विभिन्न तकनीकों, जैसे कि किक, पंच और ब्लॉक, के निरंतर अभ्यास से शरीर लचीला और फुर्तीला बनता है। इसके साथ ही, यह तनाव कम करने और एकाग्रता बढ़ाने में भी मदद करता है। बच्चों से लेकर वयस्कों तक, हर उम्र के लोग कराटे का अभ्यास कर सकते हैं और इसके लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
आजकल, खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए, आत्मरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है। कराटे उन्हें ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए आवश्यक आत्मविश्वास और कौशल प्रदान करता है। कराटे प्रशिक्षण आत्मरक्षा के साथ-साथ सम्मान, विनम्रता और धैर्य जैसे मूल्यों को भी सिखाता है, जो एक व्यक्ति के समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

छत्तीसगढ़ सहित पूरे भारत में, कराटे प्रशिक्षण केंद्र लगातार बढ़ रहे हैं, जो इस कला के प्रति बढ़ती रुचि को दर्शाते हैं।

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